लेखनी प्रतियोगिता -02-Aug-2022 ओपेन विषय पर मयखाना
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं।
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
झूठे लगते तेरे सारे अफसाने हैं।।
ये जो खेल खेला है न उसने मुहब्बत का हमसे,
थोड़ा देर ही पर सारे पैंतरे बाखूबी से जाने हैं।
वहां नहीं जाना मुझको चाहे दौलत बेशुमार मिले,
वहां तो हर ओर बस उसके दीवाने है।
उन्हें कह दो कि दौर उनका था कहर ढा दिया कोई बात नहीं,
जुनून अपना भी है उन्हें तरक्की से खूब तड़पाने है।
उनकी क्या जिक्र करें हम बेवजह अब तो ,
लबों पे नाम भी न लेंगे जब तक इस ज़माने में हैं।
माना की तेरे निगाहों से परेशान होकर जाम रुठ गये मुझसे,
जरा देखो धोखा मिला तुमसे इसलिए उन्हें भी मनाने हैं।
गौर फरमायियेगा मेरे इन बेफिजूल बातों पर,
मैंने मानी थी उसकी हर एक बात ये चीज उसने भी माने है।
यहां नहीं रहना हमको अब यहां तो शराब में जिक्र उनके आंखों का होता है,
हमें अब चलना वहां है जहां असली मयखाने है।
© अरुण कुमार शुक्ल #इश्क #लव #बातें #यादें #कहानी #शायर
Raziya bano
03-Aug-2022 08:56 AM
Nice
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MR SID
03-Aug-2022 08:38 AM
Bahut sundar rachna
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Punam verma
03-Aug-2022 07:47 AM
Nice
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